नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पोलैंड और यूक्रेन की महत्वपूर्ण यात्रा पूरी करने के बाद स्वदेश लौट आए हैं। 21 और 22 अगस्त को हुए इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी ने कई अहम मुद्दों पर बातचीत की। इस बीच, अमेरिका ने प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा का स्वागत करते हुए इसे रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने में सहायक बताया है।
मोदी का दौरा युद्ध खत्म करने में सहायक: अमेरिका
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए भारत एक मजबूत साझेदार है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का कीव जाना और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत करना, संघर्ष को समाप्त करने में सहायक हो सकता है। यह राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के न्यायपूर्ण शांति के दृष्टिकोण के अनुरूप है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई अन्य देश यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए मदद करने को तैयार है, तो अमेरिका उसका स्वागत करेगा। लेकिन मदद का मतलब यह होना चाहिए कि इसमें यूक्रेन के लोगों के साथ बातचीत शामिल हो और उनकी चिंताओं को समझा जाए।
PM मोदी और ज़ेलेंस्की के बीच बातचीत
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत की सैद्धांतिक स्थिति और प्रतिबद्धता की पुष्टि की। पीएम मोदी ने शांति की शीघ्र वापसी के लिए ‘सभी संभव तरीकों’ से योगदान देने की भारत की तत्परता को भी दोहराया।
कीव में द्विपक्षीय चर्चा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यूक्रेन की मेरी यात्रा ऐतिहासिक थी। मैं भारत-यूक्रेन मित्रता को गहरा करने के उद्देश्य से इस महान राष्ट्र में आया हूं। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ मेरी सार्थक बातचीत हुई। भारत का दृढ़ विश्वास है कि शांति हमेशा बनी रहनी चाहिए।”
रणनीतिक साझेदारी पर काम करेंगे दोनों देश
फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के कुछ हफ्तों बाद भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने में सहायता और समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ेलेंस्की और यूक्रेनी अधिकारियों का धन्यवाद किया। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी पक्षों के बीच “ईमानदारी और व्यावहारिक जुड़ाव” की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि समाधान विकसित किए जा सकें, जिन्हें व्यापक रूप से स्वीकार किया जाएगा और जो शांति की शीघ्र बहाली में योगदान देंगे। दोनों देशों ने भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को एक व्यापक साझेदारी से रणनीतिक साझेदारी में ले जाने पर भी काम करने का संकल्प लिया।