Headline
सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज देहरादून आपदा प्रभावितों को नि:शुल्क उच्च शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध- ललित जोशी
सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज देहरादून आपदा प्रभावितों को नि:शुल्क उच्च शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध- ललित जोशी
सरकार होम स्टे योजना को बढ़ावा देकर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ रही है- महाराज
सरकार होम स्टे योजना को बढ़ावा देकर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ रही है- महाराज
सुबह उठने पर महसूस होती है थकान? ऊर्जा के लिए खाएं ये 5 खाद्य पदार्थ
सुबह उठने पर महसूस होती है थकान? ऊर्जा के लिए खाएं ये 5 खाद्य पदार्थ
मुख्यमंत्री धामी ने जौलजीबी मेला-2024 का किया शुभारंभ
मुख्यमंत्री धामी ने जौलजीबी मेला-2024 का किया शुभारंभ
‘टीरा’ ने जियो वर्ल्ड प्लाजा में लॉन्च किया लग्जरी ब्यूटी स्टोर
‘टीरा’ ने जियो वर्ल्ड प्लाजा में लॉन्च किया लग्जरी ब्यूटी स्टोर
फिल्म स्टार मनोज बाजपेई को जमीन खरीदवाने के लिए ताक पर रख दिए गए नियम- कायदे 
फिल्म स्टार मनोज बाजपेई को जमीन खरीदवाने के लिए ताक पर रख दिए गए नियम- कायदे 
चीन सीमा पर तैयारियां तेज, भारतीय सेना 2025 में करेगी हल्के टैंक ‘जोरावर’ का परीक्षण
चीन सीमा पर तैयारियां तेज, भारतीय सेना 2025 में करेगी हल्के टैंक ‘जोरावर’ का परीक्षण
झूठी अफवाह फैलाकर केदारनाथ धाम पर बेवजह राजनीति कर रही है कांग्रेस- महाराज
झूठी अफवाह फैलाकर केदारनाथ धाम पर बेवजह राजनीति कर रही है कांग्रेस- महाराज
तीसरे टी20 मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 11 रनों से हराया, सीरीज में 2-1 की बनाई बढ़त
तीसरे टी20 मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 11 रनों से हराया, सीरीज में 2-1 की बनाई बढ़त

कानून का भय ही नहीं

कानून का भय ही नहीं

आखिर देश में कानून और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का यह हाल क्यों हो गया है कि एक कंपनी उसकी तनिक परवाह नहीं करती? क्या इसका कारण गुजरे वर्षों में हुई बड़ी परिघटनाएं नहीं हैं, जिनमें कानून के राज की धज्जियां उड़ाई गई हैं? सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही इस वजह से शुरू की है कि इस कंपनी ने उसके पहले के आदेश का पालन नहीं किया। कोर्ट ने अपनी दवाओं के बारे में मीडिया में भ्रामक विज्ञापन देने से उसे मना किया था। लेकिन कंपनी ने कोर्ट में हलफनामा देने के बावजूद उसकी परवाह नहीं की। जैसाकि कि दो जजों की पीठ ने कहा, यह कंपनी अपने इश्तहार में औषधि एवं जादू-टोना उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम-1954 का उल्लंघन कर रही है।

ऐसा खुलेआम चल रहा है और केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है। न्यायालय ने इस पर आक्रोश जताया। आयुष मंत्रालय से कहा- सारे देश की आंख में धूल झोंकी गई है। और आपने अपनी आंख बंद कर रखी है। दो साल से आप इस महत्त्वपूर्ण घटना (यानी न्यायिक आदेश) का इंतजार कर रहे हैं, जबकि औषधि कानून से खुद यह स्पष्ट है कि ऐसे विज्ञापन प्रतिबंधित हैं। यह मामला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट ले गया है। अब एक बार फिर से कोर्ट ने प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ऐसे विज्ञापनों के प्रकाशन या प्रसारण पर रोक लगाने को कहा है। मगर इस क्रम में यह विचारणीय है कि आखिर देश में कानून और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का यह हाल क्यों हो गया है कि एक कंपनी उसकी तनिक परवाह नहीं करती? क्या इसका कारण गुजरे वर्षों में हुई बड़ी परिघटनाएं नहीं हैं, जिनमें खुद सत्ता-तंत्र के ऊंचे स्तरों पर बैठे लोगों के संरक्षण में कानून के राज की धज्जियां उड़ाई गई हैं?

जब एक स्तर पर ऐसी घटना होती है और सरकार से लेकर न्यायपालिका तक उसकी परवाह नहीं करतीं, तो फिर सबको यही संदेश जाता है कि कानून सबके लिए समान नहीं है, ना ही यह सबसे ऊपर है। पतंजलि आयुर्वेद जैसी कंपनियां धन और सत्ता-तंत्र तक पहुंच के लिहाज से प्रभावशाली मानी जाती हैं। ऐसे में अगर उसके अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनादर किया, तो उसे आज के व्यापक संदर्भ में रखकर ही देखा जाएगा। उस संदर्भ में जिसमें रसूखदार लोग खुद को कानून से ऊपर समझने लगे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top