दिसंबर से लेकर जनवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ती है. घरा कुहरा और कम तापमान मौसम में ठंडक बनाए रखता है। जिसका असर हेल्थ पर पड़ सकता है. इस मौसम में हार्ट पेशेंट से लेकर ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और डाइजेशन पाचन की समस्याओं और मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर वालों के कई चुनौतियों से गुजरना पड़ सकता है। यही कारण है कि ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. ठंड में सर्दी, फ्लू और सांस से जुड़ी दूसरी बीमारियां होना भी आम होता है। ऐसे में आइए जानते हैं सेहत को किस तरह ये दो महीने प्रभावित करते हैं…
सर्दी-जुकाम, फ्लू
जब भी तापमान में गिरावट होती है तो सर्दी-जुकाम और फ्लू की समस्याएं बढऩे लगती है. चूंकि इस मौसम में सूर्य की रोशनी कम मिल पाती है। जिससे विटामिन डी की शरीर में कमी होने लगती है और इम्यून पावर कमजोर होने लगता है. इससे बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है. इनसे बचने के लिए ठंड से बचाव के उपाय करने चाहिए।
ब्लड प्रेशर बढ़ाएगा परेशानी
सर्दियों में ब्लड प्रेशर की समस्या तेजी से बढ़ते हुए देखी जाती है। सर्दी के मौसम में बीपी ज्यादा और गर्मी में लो होती है. दरअसल, कम तापमान के चलते रक्त वाहिकाएं अस्थायी रूप से संकीर्ण होते हैं। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. संकुचित नसों और धमनियों के जरिए रक्त को प्रवाहित करने के लिए ज्यादा दबाव की जरूरत होती है. इसका हार्ट हेल्थ पर असर पड़ सकता है. इसी वजह से ठंड में हार्ट अटैक के केस ज्यादा पाए जाते हैं।
डायबिटीज मरीजों की बढ़ती है समस्या
सर्दियों में ब्लड प्रेशर ही नहीं डायबिटीज के मरीजों की परेशानी भी काफी हद तक बढ़ सकती है. तापमान में गिरावट होने के साथ कई डायबिटिक में ब्लड शुगर बढ़ जाता है। ठंडा मौसम शरीर का तनाव बढ़ा देता है, जिसके प्रतिक्रिया में शरीर ऊर्जा को बढ़ाने कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करता है। ये हार्मोन इंसुलिन प्रोडक्शन को कम कर ब्लड शुगर लेवल के बढ़ाते हैं. इस स्थिति में किडनी, लिवर, हार्ट पर निगेटिव असर पड़ सकता है. इसे कंट्रोल में रखने शरीर को ठंड से बचाकर समय-समय पर दवाईयां लेते रहना चाहिए।
अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याएं
ऐसे लोग जो अस्थमा या सांस से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए दिसंबर-जनवरी का महीना कठिन हो सकता है. ठंडी, शुष्क हवाएं और मौसम में अचानक से आए बदलाव से बलगम जैसी समस्याएं बढ़ती हैं. जिससे अस्थमा ट्रिगर और हार्ट अटैक बढ़ सकता है।