Headline
यात्रा और पर्यटन बना महिला समूहों की आर्थिकी का आधार
यात्रा और पर्यटन बना महिला समूहों की आर्थिकी का आधार
कल से शुरू होगा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट, जाने मैच से जुडी बातें
कल से शुरू होगा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट, जाने मैच से जुडी बातें
ये काली काली आंखें सीजन 2 ने प्यार की ताकत का पढ़ाया पाठ- श्वेता त्रिपाठी
ये काली काली आंखें सीजन 2 ने प्यार की ताकत का पढ़ाया पाठ- श्वेता त्रिपाठी
दूनवासियों के लिए खतरा बनी हवा, चिंताजनक आंकड़े निकलकर आए सामने
दूनवासियों के लिए खतरा बनी हवा, चिंताजनक आंकड़े निकलकर आए सामने
मुख्यमंत्री धामी ने सौंग बांध परियोजना पर विस्थापन की कार्यवाही जल्द करने के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री धामी ने सौंग बांध परियोजना पर विस्थापन की कार्यवाही जल्द करने के दिए निर्देश
ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन- अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए युवती को किया गया रिहा
ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन- अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए युवती को किया गया रिहा
केदारनाथ विधानसभा के प्रत्याशियों की तकदीर ईवीएम में हुई कैद
केदारनाथ विधानसभा के प्रत्याशियों की तकदीर ईवीएम में हुई कैद
सर्दियों में टूटने लगे हैं बाल तो इस चीज से करें मालिश, नहीं होगा नुकसान
सर्दियों में टूटने लगे हैं बाल तो इस चीज से करें मालिश, नहीं होगा नुकसान
उत्तराखण्ड बन रहा है खिलाड़ियों के लिए अवसरों से भरा प्रदेश- खेल मंत्री रेखा आर्या
उत्तराखण्ड बन रहा है खिलाड़ियों के लिए अवसरों से भरा प्रदेश- खेल मंत्री रेखा आर्या

जंगलों में आग, तबाही के बाद ही होते हैं बचाव और सुरक्षा को लेकर सचेत

जंगलों में आग, तबाही के बाद ही होते हैं बचाव और सुरक्षा को लेकर सचेत

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की यह कोई पहली या नई घटना है। हर वर्ष गर्मी में कई जगहों पर आग लगने की वजह से आसपास का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस बार तापमान में बढ़ोतरी के साथ अभी ही राज्य में पांच सौ से ज्यादा आग लगने के मामले सामने आ चुके हैं।

किसी हादसे का सबसे बड़ा सबक यह होना चाहिए कि ऐसे इंतजाम किए जाएं, ताकि भविष्य में वैसे हालात से बचा जा सके। हैरानी की बात है कि उत्तराखंड के जंगलों में हर वर्ष आग लगने और उससे व्यापक नुकसान होने की घटनाओं के बावजूद इस ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी जाती। इस बार फिर नैनीताल और उसके आसपास के जंगलों में आग लगी और फैल कर खतरनाक शक्ल ले चुकी है।

आग से पर्यटन कारोबार पर भी पड़ा असर
बीते दो-तीन दिनों में कुमाऊं के जंगलों में पच्चीस से ज्यादा जगहों पर आग लग गई। वनाग्नि की इन घटनाओं में जहां करीब चौंतीस हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है, वहीं नैनीताल और आसपास के इलाकों में पर्यटन कारोबार पर भी इसका विपरीत असर पड़ा है। आग बुझाने के लिए भीमताल के पानी का उपयोग किया जा रहा है, जिससे उस झील में पर्यटन गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। इससे इलाके की अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है।

नैनीताल के जंगलों में लगी आग हुई बेकाबू, मदद के लिए जमीन पर उतरी सेना, हेलीकॉप्टर भी बुलाए गए
ऐसा नहीं कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की यह कोई पहली या नई घटना है। हर वर्ष गर्मी में कई जगहों पर आग लगने की वजह से आसपास का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस बार तापमान में बढ़ोतरी के साथ अभी ही राज्य में पांच सौ से ज्यादा आग लगने के मामले सामने आ चुके हैं। विडंबना है कि प्रत्यक्ष आशंका और खतरा होने के बावजूद गर्मी की शुरुआत के पहले सरकार की ओर से आग लगने के लिहाज से संवेदनशील जगहों पर बचाव और आग को फैलने से रोकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जा सके।

जंगल में कुछ ऐसे खाली क्षेत्र तैयार किए जा सकते हैं, जहां जलाशय बनाए जा सकते हैं कि अगर किसी क्षेत्र में आग लगे, तो उसे फैलने से रोका जा सके और बुझाने में मदद मिले। इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि क्या आग लगने की घटनाओं में कुछ अराजक तत्त्वों का हाथ है! मगर आम हो चुकी वनाग्नि की घटनाओं के बावजूद सरकार को इस ओर ध्यान देना शायद जरूरी नहीं लगता। नतीजतन, हर वर्ष राज्य में जंगलों का बड़ा हिस्सा वनाग्नि से तबाह होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top