कांग्रेस नेता राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। वामपंथी पार्टियों की अपील कांग्रेस ने ठुकरा दी है। गौरतलब है कि वामपंथी पार्टियों के साथ कांग्रेस का और विपक्षी गठबंधन का कई राज्यों में तालमेल होना है। लेकिन केरल में सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को अलग अलग लडऩा है। तभी एलडीएफ के नेता चाहते थे कि राहुल गांधी केरल से न लड़ें। राहुल के केरल से लडऩे का फायदा यह हुआ था कि पिछले चुनाव में यूडीएफ ने 20 में से 19 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसमें कांग्रेस को अकेले 15 सीटें मिली थीं।
राहुल गांधी वायनाड सीट से बड़े अंतर से जीते थे। हालांकि वे अमेठी सीट पर चुनाव हार गए थे। इस बार भी एलडीएफ को लग रहा है कि राहुल के लडऩे का फायदा कांग्रेस को होगा। ध्यान रहे 2019 के लोकसभा चुनाव के दो साल बाद 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में एलडीएफ की जीत हुई थी। इसलिए भी एलडीएफ को लग रहा है कि लोग लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन कर सकते हैं। अगर राहुल नहीं लड़ते तो लेफ्ट को कुछ फायदा हो सकता था। बताया जा रहा है कि एलडीएफ के अंदर हुए सीट बंटवारे के तहत सीपीआई को चार सीटें मिली हैं, जिसमें वायनाड की सीट भी है। पिछली बार सीपीआई के पीपी सुनीर इस सीट से लड़े थे। इस बार कहा जा रहा है कि सीपीआई के महासचिव डी राजा की पत्नी एनी राजा इस सीट से लड़ सकती हैं। बताया जा रहा है कि डी राजा भी चाहते थे कि राहुल इस सीट से नहीं लड़ें। लेकिन राहुल भले उत्तर भारत की भी किसी सीट से लड़ें लेकिन वायनाड जरूर लड़ेंगे क्योंकि उसका असर दक्षिण के दूसरे राज्यों पर भी होगा।