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मुफ्त की रेवड़ियों की घोषणा

मुफ्त की रेवड़ियों की घोषणा

हरिशंकर व्यास
महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में मुफ्त की रेवडिय़ों की घोषणा देखें तो हैरानी होगी कि इन सरकारों के पास कितना पैसा है, जो इतने खुले दिल से बांट रही हैं! चुनाव से ठीक पहले झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने मुख्यमंत्री मइया सम्मान योजना के तहत महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देने का ऐलान किया। चुनाव से पहले पहली किश्त उनके खाते में डाल भी दी गई। तभी भाजपा ने गोगो दीदी योजना का ऐलान किया और कहा कि वह महिलाओं को हर महीने 21 सौ रुपए देगी। सोचें, होड़ लगा कर महिलाओं के खाते में पैसा डालने की इस योजना पर। क्या इसकी बजाय पार्टियां महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने और सम्मान के साथ जीने की स्थितियां मुहैया कराने के लिए काम नहीं कर सकती हैं?

इसी तरह की योजना महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार ने घोषित की है। वहां माजी लडक़ी बहिन योजना के तहत महिलाओं को हर महीने डेढ़ हजार रुपए देने की घोषणा हुई है। रुपए महिलाओं के खाते में जाने भी लगे हैं। लाड़ला भाई योजना के तहत सरकार ने युवाओं को उनकी शिक्षा या डिग्री के हिसाब से छह हजार से 10 हजार रुपए महीना तक दे रही है। चुनाव से पहले महिलाओं के लिए, युवाओं के लिए, किसानों के लिए, सरकारी कर्मचारियों के लिए, बुजुर्गों के लिए, ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए यानी हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ मुफ्त में देने की घोषणा हो रही है। कोई नीति बना कर स्थायी रूप से उनका भला करने की बजाय चुनाव के हिसाब से उनको कुछ न कुछ देकर लुभाने का प्रयास हो रहा है।

कहीं बिजली फ्री दी जा रही है तो कहीं पानी फ्री किया जा रहा है तो कहीं बसों में यात्रा फ्री की जा रही है। सब कुछ फ्री फ्री फ्री हो रहा है। जनता समझ रही है कि सरकार इतना कुछ मुफ्त में दे रही है और वही जनता इस बात का जश्न भी मना रही है कि हर महीने डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा जीएसटी इकट्ठा किया जा रहा है। जनता लाखों करोड़ रुपए का टैक्स दे रही है और बदले में कौड़ी की कीमत की मुफ्त की रेवड़ी हासिल कर रही है। सरकारी कर्मचारियों और कारोबारियों की मिलीभगत से एक साल में 2.37 लाख करोड़ रुपए की गड़बड़ी जीएसटी में हो गई है। इतने की तो पूरी रेवड़ी नहीं बंटती होगी!

जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में बिजली, पानी फ्री करने की बात कही थी उसके बाद ही प्रधानमंत्री ने मुफ्त की रेवड़ी का जुमला गढ़ा था। उन्होंने इसका मजाक उड़ाया था और कहा था कि इस तरह की योजनाओं से देश की अर्थव्यवस्था बरबाद हो जाएगी। लेकिन जब लगा कि यह योजना तो सफल है। इसके जरिए वोट हासिल किया जा सकता है और दूसरा कुछ करने की जरुरत भी नहीं रह जाएगी तो उनकी पार्टी ने बढ़ चढ़ कर मुफ्त की रेवडिय़ों की घोषणा शुरू कर दी।

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